आज का दिन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा दिन था। ये वो सुनहरा पल था जब टीम इंडिया के सिर दूसरी बार विश्व विजेता का ताज सजा था। 2 अप्रैल 2011 को भारत और श्रीलंका के बीच विश्व कप का खिताबी मुकाबला खेला गया था। वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर के जल्दी ड्रेसिंग रूम लौटने के बाद गौतम गंभीर और महेंद्र सिंह धोनी ने भारत की झोली में विश्व कप का दूसरा खिताब डाला था।
पहली बार 1983 में भारत बना था विश्व विजेता
1983 का विश्व कप इंग्लैंड की मेजबानी में खेला गया था। तब शायद ही किसी के जहन में कपिल देव की अगुवाई वाली टीम इंडिया को विश्व कप उठाते देखने का विचार आया होगा। लेकिन भारतीय टीम ने सारे समीकरण अपने पक्ष में करते हुए विश्व कप का तीसरा सत्र यानि विश्व कप 1983 जीत लिया। इसके पहले 1975 और 1979 में खेले गए दोनों विश्व कप वेस्टइंडीज ने जीते थे। 1983 के वर्ल्ड कप फाइनल में भारत के 183 रनों पर ढेर होते ही तीसरी बार भी कहानी दोहराई जानी तय लग रही थी। लेकिन वेस्टइंडीज को 140 के स्कोर पर धराशायी कर भारत ने पहली बार विश्व कप की ट्रॉफी पर कब्जा जमाया।
दूसरी बार विश्व विजेता बनने की कहानी
2 अप्रैल को टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल में श्रीलंका को 6 विकेट से हराकर दूसरी बार विश्व विजेता बनने का गौरव हासिल किया था। श्रीलंका ने महेला जयवर्धने की 103 रनों की शतकीय पारी के दम पर 50 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 274 रन स्कोरबोर्ड पर लगाए थे। दूसरे विश्व कप खिताब की तलाश में उतरी भारतीय टीम की पारी शुरुआत में ही लड़खड़ा गई। भारत ने 6.1 ओवर में वीरेंद्र सहवाग (0) और सचिन तेंदुलकर (18) समेत दोनों ओपनिंग बल्लेबाजों के विकेट गंवा दिए।
तब नंबर 3 पर बल्लेबाजी के लिए आए बाएं हाथ के बल्लेबाज गौतम गंभीर ने विराट कोहली के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 83 रन जोड़े। जब कोहली चलते बने तब मैच फिनिशर एमएस धोनी ने मैदान पर कदम रखा। गंभीर और धोनी ने 109 रनों की साझेदारी कर टीम इंडिया के लिए एक कप और सुनिश्चित कर दिया। गौतम गंभीर (97) केवल 3 रन से शतक जड़ने से चुके गए। वहीं एमएस धोनी ने छक्के के साथ मैच फिनिश करते हुए 79 गेंदों में 91 रनों की पारी खेली। युवराज सिंह 21 रनों का योगदान दिया।
प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट
91 रनों की पारी के लिए महेंद्र सिंह धोनी को मैन ऑफ द मैच और युवराज सिंह को मैन ऑफ द सीरीज/टूर्नामेंट के खिताब से नवाजा गया था। युवराज सिंह ने 9 मैचों की 8 पारियों में 362 रन बटोरे थे। जबकि टूर्नामेंट में श्रीलंका के तिलकरत्ने दिलशान 9 पारियों में 500 रनों के साथ पहले नंबर पर रहे थे। वहीं सचिन तेंदुलकर ने 9 पारियों में 482 रनों के साथ दूसरा स्थान हासिल किया था।